रक्षाबंधन राखी पूर्णिमा

 

रक्षाबंधन एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जिसे भाई-बहन के प्यार और स्नेह के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसे राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है।




 

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रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएँ हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कहानियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. द्रौपदी और भगवान कृष्ण: महाभारत के समय की एक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तो उनकी अंगुली कट गई। यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया। इस प्रेम और भक्ति के बदले में, भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वे हमेशा उनकी रक्षा करेंगे। इसी वचन की पूर्ति उन्होंने चीरहरण के समय की, जब उन्होंने द्रौपदी की साड़ी को अनंत रूप से बढ़ाकर उनकी लाज बचाई।

  2. रानी कर्णावती और हुमायूँ: मध्यकालीन भारत की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी और अपने राज्य की रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने राखी का मान रखते हुए अपने धर्म का पालन किया और रानी कर्णावती की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजी।

  3. इंद्राणी और इंद्र: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं के राजा इंद्र जब राक्षसों के राजा बलि के साथ युद्ध कर रहे थे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक पवित्र धागा तैयार किया और उसे इंद्र की कलाई पर बांध दिया। इस धागे ने इंद्र को युद्ध में विजय दिलाई। माना जाता है कि यह धागा रक्षा सूत्र था, जिसने इंद्र की रक्षा की।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का मूल अर्थ है "रक्षा का बंधन"। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई, बदले में, अपनी बहनों की सुरक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के बीच के रिश्ते को और मजबूत करता है और प्रेम, स्नेह, और विश्वास का प्रतीक बनता है।

रक्षाबंधन न केवल हिन्दू धर्म में बल्कि जैन और सिख समुदायों में भी मनाया जाता है, जिससे यह एक व्यापक और समरसता से भरा त्योहार बन गया है।

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