Papamochani Ekadashi Vrat Katha: पापमोचनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

 Papamochani Ekadashi Vrat Katha: पापमोचनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

Ekadashi

एकादशी व्रत कथा:

एकादशी व्रत कथा एक प्रमुख हिंदू परंपरा है, जिसे लोग सावन माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन को समर्पित करते हैं। इस व्रत की कथा में दो भाइयों की कहानी है, जिनका नाम राजा मंदतिक और राजा महीश्मति था।

कथा के अनुसार, राजा मंदतिक और राजा महीश्मति दोनों ही अपने वंश के प्रेरणा स्त्रोत थे। राजा मंदतिक धर्मप्रिय और नेक राजा थे, जबकि राजा महीश्मति काम, क्रोध और लोभ के वश में थे। एक बार, दोनों भाइयों ने एकादशी के दिन व्रत करने का निर्णय किया।

 

राजा मंदतिक ने एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति से माना, जबकि राजा महीश्मति ने व्रत का अनदेखा किया और अपनी सारी साधना और शक्ति का उपयोग अपने वंश के लिए किया।

समय के साथ, राजा मंदतिक की राज्य की समृद्धि बढ़ती गई, और उनके प्रजा की सुख-शांति में वृद्धि होती गई। वहाँ, राजा महीश्मति के राज्य में अशांति और विपरीतता थी, और उनके राज्य की स्थिति लगातार बिगड़ती गई।

एक दिन, एक वृद्ध ऋषि राजा मंदतिक के दरबार में आए और उन्हें बताया कि उनकी सफलता का रहस्य उनके एकादशी व्रत में छिपा है। ऋषि ने उन्हें आज्ञा दी कि वे एकादशी के व्रत को संगठित रूप से अपनाएं और अपने राज्य के लाभ के लिए यज्ञ और दान करें।

राजा मंदतिक ने ऋषि की सीख को माना और अपने राज्य के लिए और भविष्य के लिए भले के लिए सद्य एकादशी के व्रत का पालन किया। वह और उनके लोग धार्मिक और नेक बने और उनके राज्य में सुख, शांति, और समृद्धि का वातावरण बना रहा।

दूसरी ओर, राजा महीश्मति ने अपने अहंकार के चलते एकादशी व्रत का अनदेखा किया और अपने वंश के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनके राज्य में अशांति, रोग, और संकट बढ़ गए, जिससे उन्हें बहुत ही दुख हुआ।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि एकादशी व्रत का पालन करना धार्मिकता के साथ-साथ आत्मशुद्धि, आत्म-निरीक्षण और सामाजिक दायित्व का भी एक तरीका है। यह हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और समृद्धि के प्रति मार्गदर्शन करती है।

Ekadashi

एकादशी पूजा विधि:

  • एकादशी का पर्व आते ही लोग इसे ध्यान और भक्ति से मनाते हैं। यह पर्व धर्म, शुद्धता, और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। एकादशी के दिन लोग विशेष पूजा-अर्चना और व्रत के साथ इसका आचरण करते हैं।
  • एकादशी के दिन को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर इसके बाद, एक शुद्ध और शांतिपूर्ण स्थान पर बैठकर ध्यान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • एक विशेष विधि के अनुसार, आप अपने घर के मंदिर में एकादशी की विशेष इमेज या मूर्ति को सजाकर पूजा कर सकते हैं। आप उन्हें सुगंधित धूप, दीप और पुष्पों से सजा सकते हैं।
  • एकादशी के दिन को उपासना और मन्त्र-जप के साथ विशेष ध्यान देना चाहिए। आप भगवान विष्णु के नाम का जाप कर सकते हैं या उनकी स्तुति कर सकते हैं।
  • व्रत के दिन केवल फलाहार करें और अनाज, दाल, सब्जियाँ, और फलों का सेवन करें। अन्य अन्न जैसे कि चावल, गेहूं, आटा आदि का सेवन न करें।
  • इसके बाद, एकादशी के दिन अन्य कोई भी विशेष काम न करें और पूरे दिन को ध्यान, प्रार्थना, और भजन के साथ बिताएं।
  • एकादशी के दिन के बाद द्वादशी के दिन उपवास समाप्त करें और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद, दान-धर्म, अन्य लोगों की सेवा, और साधु-संतों के समर्थन में यज्ञ और दान करें।
  • एकादशी के व्रत को ध्यान में रखते हुए और भगवान के प्रति निष्ठा और विश्वास के साथ इसे मानने से अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ होता है।

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा:

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा एक पुरानी कथा के रूप में प्रसिद्ध है, जो समय के साथ बदलती रहती है, लेकिन उसका संदेश हमेशा धर्म और शुद्धता का होता है। इस व्रत कथा का मुख्य केंद्र भगवान विष्णु के आदेश और उनके भक्त राजा मनु के परिपत्र में है।
कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु के भक्त राजा मनु ने अपने गुरु वामन ऋषि से अपने परिवार की रक्षा के लिए सलाह ली। वामन ऋषि ने उन्हें पापमोचनी एकादशी व्रत का पालन करने का सुझाव दिया।
राजा मनु ने ऋषि की सलाह को मानते हुए पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा और उसके व्रत में सफल होकर उन्होंने अपने परिवार को भी व्रत का पालन करने का आदेश दिया।
इस व्रत के पालन के परिणामस्वरूप, राजा मनु के परिवार का सभी पाप दूर हो गया और वहाँ समृद्धि, शांति, और धर्म का वातावरण बन गया।
पापमोचनी एकादशी के व्रत का महत्व हमें यह बताता है कि यह व्रत हमें पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए विशेष उपाय प्रदान करता है। इसके द्वारा हम अपने मन, वाणी, और कर्म को शुद्ध और पवित्र बना सकते हैं, जिससे हमें धार्मिकता, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.